Thursday, February 3, 2011

न्यूज़ चैनल ''न्यूज़ एक्सप्रेस'' एक राजनीतिक चैनल होगा. ये चैनल राजनीतिक के तमाम रंगों को समेटेगा और आम लोगों में

चैनल हेड मुकेश कुमार बोले- राजनीति को ढंग से पेश किया जाए तो दर्शक उसे देखने के लिए वापस लौट सकते हैं : साई प्रसाद ग्रुप ऑफ कंपनीज़ का न्यूज़ चैनल ''न्यूज़ एक्सप्रेस'' एक राजनीतिक चैनल होगा. ये चैनल राजनीतिक के तमाम रंगों को समेटेगा और आम लोगों में राजनीति के प्रति रुचि पैदा करने और उन्हें राजनीतिक रूप से सक्रिय बनाने के उद्देश्य से कंटेंट को गढ़ेगा.
चैनल हेड मुकेश कुमार ने भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह से बातचीत के दौरान पहली बार अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए उपरोक्त विचार व्यक्त किए. बातचीत न्यूज़ एक्सप्रेस के नोएडा स्थित नवनिर्मित भवन में हुई. ये पूछे जाने पर कि ऐसे समय जब लोगों में राजनीति को लेकर विरक्ति का भाव है राजनीतिक सामग्री पर इतना ज़ोर देना दुस्साहस नहीं कहा जाएगा, उन्होंने माना कि हाँ ये दुस्साहस है मगर ऐसा न करना तो आत्मघाती होगा.
उनका कहना था कि ऐसे समय में जब ढेर सारे न्यूज़ चैनल पहले से हों तो आप भी उसी कंटेंट के साथ आकर कुछ नहीं कर सकते. मुकेश कुमार ने इस क्रम में ये भी जोड़ा कि ये ग़लत धारणा बना दी गई मुकेश कुमारहै कि राजनीति को लोग देखना पसंद नहीं करते. उनके मुताबिक राजनीति अभी भी हिंदी पट्टी में सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली चीज़ों में से है. तमाम राजनीतिक हलचलों को लोग दिलचस्पी के साथ देखते हैं और उन पर बहस करते हैं. चुनाव के समय तो राजनीति दूसरे तमाम विषयों को पछाड़कर आगे निकल जाती है. इसलिए अगर राजनीति को ढंग से पेश किया जाए तो दर्शक उसे देखने के लिए वापस लौट सकते हैं.
धीरे-धीरे तमाम चैनल राजनीति पर लौट रहे हैं और उसे ज़्यादा कवरेज भी देने लगे हैं ऐसे में न्यूज़ एक्सप्रेस अतिरिक्त क्या करेगा, इस सवाल के जवाब में उनका कहना है कि टेलीविज़न पर राजनीति को कवर करने का एक फार्मूला सा बन गया है और सब उसी पर काम कर रहे हैं. अगर इसे बदला जाए और राजनीति को सत्ता के ढाँचे से निकालकर घर-समाज तक ले जाकर देखा जाए तो शायद सूरत-ए-हाल बदल सकती है.
हो सकता है कि लोग राजनीति के महापतन और नेताओं के धतकर्मों से निराश हो गए हों और राजनीति से लोगों को दूर करने में बाज़ार की भी साज़िश कम कर रही हो. मगर राजनीति को बदलने के लिए ज़रूरी है कि उसे तमाम गतिविधियों के केंद्र में लाया जाए. अगर बुरी राजनीति से मुक्ति पानी है तो अच्छी राजनीति को बढ़ावा देना होगा और ये तभी होगा जब अच्छी राजनीति की समझ लोगों में पैदा की जाए. मीडिया ये कर सकता है और हम अपनी ओर से एक विनम्र प्रयास इस दिशा में करना चाहते हैं. सफल होंगे या नहीं ये तो वक्त बताएगा मगर हमें यकीन है कि एक अच्छी टीम एक अच्छा राजनीतिक चैनल ज़रूर गढ़ेगी और अगर ऐसा हुआ तो ये देश का ही नहीं दुनिया का पहला राजनीतिक चैनल होगा

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