Tuesday, December 28, 2010

bhopal news reporter

 मुझे कुछ लोगों के कर्तव्य, अधिकार, इरादे और तात्पर्य ठीक से समझ में नहीं आ रहे। या तो मैं अनाड़ी हूं या जन्मजात मूर्ख, जो ये जटिल खेल समझ नहीं पाता। अगर किसी को समझ में आ जाए तो कृपया ज्ञान देने में संकोच न करे। एक निरीह सा प्रश्न यह है कि प्रणय रॉय, अरुण पुरी, शोभना भरतिया, राघव बहल, विनीत जैन, परेश नाथ और शेखर गुप्ता आदि नीरा राडिया के सवाल पर इतने संदिग्ध रूप से खामोश क्यों हैं कि पूछना पड़े कि भाई साहब/बहन जी, आपकी पॉलिटिक्स क्या हैं?
बेचारा प्रभु चावला तो प्रॉपर्टी डीलर के अंदाज में निपट गया, मगर बरखा रानी और वीर सांघवी की कायरता पर किसी ने अब तक खुल कर सवाल नहीं उठाए। जिन्होंने उठाए उन्होंने बरखा को उन्हीं के स्टूडियों में जा कर सवाल पूछने का अवसर पाया और अपनी गली में थीं इसलिए बरखा शेर हो रही थीं। मांगे जवाब जा रहे थे मगर बरखा रानी धमकियां दे रही थीं।
वीर सांघवी का कॉलम बंद हो गया तो कौन सा तूफान आ गया। हिंदुस्तान टाइम्स में फोकट की यात्राएं कर के वे लोगों को बताते रहते हैं कि कहां मछली अच्छी मिलती हैं और कहां मक्खन से तड़का लगाया जाता हैं। मतलब कुछ तो है कि हिंदुस्तान टाइम्स उनसे नाता तोड़ने की हिम्मत नहीं कर पा रहा। राजा की बेईमानियों, रेड्डियों की जालसाजियों और येदुयरप्पा के जमीन आवंटनों में सवाल करने वाले हम लोग बरखा दत्त, एम के वेणु, गणपति सुब्रमण्यम, शंकर अय्यर, वीर सांघवी और प्रभु चावला आदि पर और उनके फूहड़ बयानों पर सवाल नहीं करते। सब ने अपने अपने खुदा बना रखे हैं। ये खुदा वे हैं जो नीरा राडिया के सामने नमाज पढ़ते हैं। इनके कुफ्र का किसी को खयाल नहीं है।
और फिर राजदीप सरदेसाई को हम क्यों भूल जाते हैं। आखिर क्या नीरा राडिया ने राजदीप को सात जुलाई 2009 को फोन कर के मुकेश अंबानी के सबसे बड़े चमचे मनोज मोदी से मुलाकात का निमंत्रण नहीं दिया था। बहाना गैस की कीमतें तय करने पर विचार करने का था। यह राजदीप सरदेसाई गैस कब से बेचने लगे? फिर राजदीप सरदेसाई ने अपने चैनल के संयुक्त प्रबंध निदेशक समीर मनचंदा से मुलाकात करवाने की बात क्यों कही? देसाई ने कहा था कि मैं चाहता हूं कि मनोज मोदी टीवी 18 के समीर मनचंदा से मिले क्योंकि समीर और मनोज के बीच कई विषयों पर पहले भी लंबी बातें हो चुकी है। ये लंबी बाते क्या थी, कोई हमें बताएगा? क्या मनचंदा पत्रकार हैं जिन्हें मुकेश अंबानी गैस कीमत मुद्दे पर ज्ञान देना चाहते हैं?
टाइम्स नाउ काफी हमलावर चैनल है। अरनब गोस्वामी वहां जिसको निपटाना हो चुन लेते हैं और निपटा ही लेते हैं। सुरेश कलमाडी उदाहरण है। मगर इकानॉमिक्स टाइम्स के तत्कालीन सीनियर एडिटर एम के वेणु नीरा राडिया के दलाल थे और उन्होंने कहा था कि इकानॉमिक्स टाइम्स पैसा खर्च नहीं करना चाहता और हमेशा ग्राहक तलाशता है। और फिर वेणु का राडिया को यह कहना कि मुकेश अंबानी वाले रिलायंस के लोगों को तुम्हारे आने के भी पहले मैंने कह दिया था कि मुकेश को मीडिया के सामने इतना क्यों ले जाते हो, वे इतने बड़े आदमी हैं और उन्हें मीडिया के सामने हाथ नहीं जोड़ने चाहिए। ये हमारे मीडिया का एक दल्ला बोल रहा है और फिर आगे कह रहा है कि उन लोगों का जवाब है कि अनिल अंबानी कर रहे हैं तो हमें करना पड़ रहा है। तो मैंने उनको कहा कि तुम उल्टा करो और इन साले मीडिया वालों को बता दो कि हमारा मालिक स्पेशल है। मीडिया के इस दल्ले का दूसरा बयान मीडिया को ही गाली दे रहा है। नमक हरामी की हद होती है। फिलहाल एम के वेणु फाइनेंशियल एक्सप्रेस में काम कर रहे हैं और शायद शेखर गुप्ता को भी अपने इस नवरत्न पर कोई शर्म नहीं है। इस अखबार में जो छपता हैं वह नीरा राडिया का नहीं हैं यह आप ऐतबार कर लेंगे? अगर कर लेंगे तो आप धन्य हैं।
राघव बहल टीवी 18 के मैनेंजिग डायरेक्टर है और खुद अपना साम्राज्य खड़ा करने के लिए उनकी बहुत इज्जत होती है। आखिर चार-चार टीवी चैनल उन्होंने ऐसे ही नहीं खड़े कर दिए। मगर मुकेश अंबानी का चमचा मनोज मोदी जब नीरा राडिया से यह कहता है कि मैंने राघव बहल को समझा दिया है कि तुम्हारी कंपनी भ्रष्ट है। अनिल के खिलाफ सच्ची खबर भी नहीं छापते और दावा करते हो कि तुम हमारे लिए काम करोगे। मुझे अपनी खबरों का सोर्स बताओ। मनोज मोदी आगे यह भी कहता है कि मुकेश अंबानी को अटैक करेगा तो मेरा नाम मनोज मोदी हैं। मै छोड़ूंगा नहीं। राघव बहल जिन्होंने अपनी शारीरिक कमजोरी के बावजूद इतना बड़ा व्यापारिक साहस दिखाया है। एक कानूनी नोटिस आने से डर जाते हैं....। इसका विरोध भी नहीं करते...। नीरा राडिया और किसी श्रीनाथ के बीच एक बातचीत है, जिसमें कहा गया है कि सीएनबीसी टीवी 18 पर मुकेश अंबानी के खिलाफ एक खबर चली। नीरा राडिया जवाब देती हैं कि सेबी जांच कर रही हैं और सिद्धार्थ जरावी, जो सीएनबीसी का आर्थिक नीति संपादक हैं, उदयन मुखर्जी जो एंकर हैं और साजिद नाम का एक पत्रकार सब जांच के घेरे में आ गए हैं। ये सब अपनी बीबीयों से शेयर का धंधा करवाते हैं। सेबी की जांच में सब सामने आ गया है। ये भी नीरा राडिया का बयान है कि उदयन मुखर्जी साल में छह करोड़ रुपए सिर्फ इनकम टैक्स में देते हैं और वे पत्रकार हैं। राघव बहल को अपने इन नए पत्रकारों के बारे में क्या कहना है?
इकानॉमिक टाइम्स के कार्यकारी संपादक राहुल जोशी भी नीरा राडिया के आशिकों में से एक हैं। वे नीरा को कहते हुए पाए जाते हैं कि गैस कीमतों के मामले पर अगले दिन आने वाले बंबई हाई कोर्ट के फैसले को कैसे कवर करना है, यह तय किया जा चुका है। फिर सफाई भी देते हैं कि मैंने यह तय नहीं किया हैं। यह मेरी गलती नहीं है। दूसरे शब्दों में इसका मतलब यह है कि मेरी मां, मुझे बख्श दो। राहुल जोशी यह भी कहते हैं कि मैं तो अपनी तरफ से मुकेश की मदद करने की पूरी कोशिश करता हूं।
अरुण पुरी ने तो कम से कम प्रभु चावला को निकाल कर बाहर कर दिया है, मगर उनकी तरफ से भी कोई सफाई नहीं आई कि उनका समूह संपादक टाटाओं और दोनों अंबानियों और बड़े अंबानी की दलाल से रिश्ते बनाए रखता हैं और मुकेश अंबानी को सर्वोच्च न्यायालय में जाने के बारे में और फैसला फिक्स करवाने के बारे में सलाह देने का प्रस्ताव करता है, तो क्या यह एक साफ सुथरे समूह के नाम पर धब्बा नहीं है। प्रभु चावला के जाने के बाद ही सही उसके आचरण के बारे में समूह को कोई सफाई तो देनी चाहिए।
वैसे तो प्रणय रॉय खुद शेयरों की हेरा-फेरी में फंसे हैं लेकिन बहुत से जवाब उन्हें भी देने हैं। एम के वेणु और नीरा राडिया जब 9 जुलाई 2009 को बात कर रहे थे तो वेणु ने नीरा से पूछा था कि क्या मनोज मोदी दिल्ली आए हैं? राडिया ने कहा था कि आए हैं और शाम तक हैं। हम लोग एनडीटीवी के प्रणय रॉय से मिलने जा रहे हैं। हमें प्रणय का सपोर्ट चाहिए। इसको बरखा दत्त और मनोज मोदी के बीच उसी शाम को हुई उस बातचीत से जोड़ना चाहिए, जिसमें मनोज मोदी बरखा रानी को समझा रहे हैं कि तुम जानती हो कि मैं दिल्ली नहीं आता मगर खास तौर पर इस काम के लिए आया हूं। बरखा मनोज से कहती हैं कि इससे हमें काफी मदद मिलेगी मनोज। इसके बाद बरखा का एक वाक्य बीच में कट जाता हैं लेकिन उस अधूरे वाक्य के अर्थ बड़े खतरनाक है। बरखा सिर्फ इतना कह पाती हैं कि तुम इतनी मदद कर रहे हो और मुझे लगता है कि आपके साथ ......... फोन कट जाता है। मगर आपके साथ क्या? बरखा रानी जवाब दें।
नीरा राडिया बहुत लोगों के साथ बातचीत में हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक संजय नारायणन को अनिल अंबानी का आदमी बताती रहती है। वे तो राज्यसभा के सदस्य और भूतपूर्व वित्त सचिव एनके सिंह से भी संजय की शिकायत करती है और एनके सिंह वायदा करते हैं कि वे बात करेंगे। शोभना भरतिया ने संजय नारायणन क्या कोई सफाई मांगी हैं? क्या अपने पाठकों के प्रति शोभना का कोई फर्ज नहीं हैं? वीर सांघवी ने कहा है कि उन्होंने अपनी मर्जी से अपना कॉलम बंद किया है। क्या शोभना भरतिया बताएंगी कि हिंदुस्तान टाइम्स का सबसे लोकप्रिय स्तंभ उनकी अनुमति से बंद हुआ है? क्या उन्होंने वीर सांघवी से नीरा राडिया से उनके रिश्तों के बारे में पूछा है। न पूछा होगा और न पूछेंगी क्योंकि लगता है कि पूरे मीडिया में फिल्म शोले का एक डायलॉग उधार लें तो पाठकों ने हिजड़ों की एक फौज खड़ी कर रखी है।
लेखक आलोक तोमर देश के जाने-माने पत्रकार हैं.

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