उज्जैन में एक होटल के लॉन में कुछ लमहे सुकून के शेयर करते हुए नेशनल अवार्ड से सम्मानित थ्री ईडिएट फेम गीतकार स्वानंद किरकिरे, टीवी ऐंकर गायत्री शर्मा (इंदौर) और शायर देवमणि पाण्डेय
इस दुनिया का रंग देखके सबने बदली चाल मियाँ
तुमसे कुछ भी छिपा नहीं है क्या बतलाएं हाल मियाँ
जिसमें झांको उसी आंख में उज्जैन में एक होटल के लॉन में कुछ लमहे सुकून के शेयर करते हुए नेशनल अवार्ड से सम्मानित थ्री ईडिएट फेम गीतकार स्वानंद किरकिरे, टीवी ऐंकर गायत्री शर्मा (इंदौर) और शायर देवमणि पाण्डेय
तैर रहा दुख का बादल
फिर भी यूँ हँसते हैं नेता
जैसे हँसते हैं पागल
ऊपर से ये ख़ुश लगते हैं अंदर हैं बेहाल मियाँ
तुमसे कुछ भी छिपा नहीं है क्या बतलाएं हाल मियाँ
बरसों बीते मगर अभी तक
दूर हुई न बदहाली
कैसे फूल खिलें ख़ुशियों के
सबकी हैं जे बें ख़ाली
मुफ़्त में लेकिन सभी निकम्मे उड़ा रहे हैं माल मियाँ
तुमसे कुछ भी छिपा नहीं है क्या बतलाएं हाल मियाँ
देखके टीवी पर विज्ञापन
रुठ गई बिटिया बबली
अपना चेहरा चमकाने को
मांगे फेयर एन लवली
नया दौर मां - बाप की ख़ातिर है जी का जंजाल मियाँ
तुमसे कुछ भी छिपा नहीं है क्या बतलाएं हाल मियाँ
फर्स्ट क्लास ग्रेजुएट है राजू
मगर नौकरी नहीं मिली
मजबूरी में पेट की ख़ातिर
बेच रहा है मूंगफली
कमोबेश सब पढ़े लिखों का इक जैसा अहवाल मियाँ
तुमसे कुछ भी छिपा नहीं है क्या बतलाएं हाल मियाँ
गुज़रा है ये साल कि डोरी
उम्मीदों की टूट गई
स्टेशन पर पहुँचके जैसे
अपनी गाड़ी छूट गई
फिर भी हँसकर करेंगे स्वागत आया नूतन साल मियाँ
तुमसे कुछ भी छिपा नहीं है क्या बतलाएं हाल मियाँ
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