जेडीए के कथित अफसरों द्वारा अपने कारनामों पर पर्दा डालने के लिए किए गए इस खेल का खुलासा प्रकाश कुंज की ओर से किए जाने के बाद कई और घपले सामने आएंगे। नववर्ष के तोहफे के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल किसके इशारे पर किया गया, इस तथ्य को लेकर प्रकाशकुंज ने जांच की तो चौकानें वाले तथ्य आए कि जेडीए में भी नीरा राडिया की तरह पत्रकारों को मैनेज करने के लिए दो-दो, पांच-पांच और दस-दस हजार के कैश कार्ड बांटकर लालच दिया गया। कार्ड बांटने का खुलासा होते ही कई लोग सक्रिय हो गए कि जेडीए के किन घपलों पर पर्दा डालने के लिए यह खेल किया गया। धन के बल पर खबरें रूकवाने और छपवाने के इस खेल से जेडीए में भी नीरा राडिया की तरह लॉबिंग खुलकर सामने आ गई है। इसमें कितने अफसर लिप्त हैं। इसका खुलासा होना शेष है। इस घटना से जेडीसी पर भी ऊंगली उठ गई है कि उनके पद पर रहते भ्रष्टाचार का यह खेल खेला गया। शनिवार को दिन भी कुछ पत्रकारों को घर जाकर कैश कार्ड दिए गए।
संवाददाता ने इस मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि शुक्रवार को जनसंपर्क शाखा में पहले चरण में आधा दर्जन पत्रकार यह कहकर बुलाए गए कि मिलकर जरूर जाना। इस पर शुक्रवार को 12 बजे सबसे पहले दो पत्रकार पहुंचे। इस पर उन्हें लिफाफे में बंद एक्सिस बैंक के कैश कार्ड थमाए गए और कहा गया कि यह जेडीए की ओर से नव वर्ष के उपलक्ष्य में दिया गया है। आप लोग वैसे ही जेडीए का ध्यान रखते हैं। अब आगे आप सहयोग कर चलें। बाद में कुछ और पत्रकार आए तो उनको भी यह कहकर दिया गया कि आपकी की ओर से अच्छा सहयोग किया जा रहा है। ऐसे में हमारा भी फर्ज बनता है। यह कैश कार्ड है, एटीएम पहुंचकर कार्ड स्वीप करेंगे तो नकद रूपए मिल जाएंगे। आश्चर्य जनक तथ्य यह है कि जनसंपर्क कार्यालय ने यह राशि कहां से जुटाई। जेडीए के लेखाधिकारी ने कहा कि नव वर्ष के उपलक्ष्य में इस तरह की कोई राशि स्वीकृत नहीं है। ऐसे में इतनी बड़ी धन राशि जनसंपर्क कार्यालय ने कहां से जुटाई।
सूत्रों ने खुलासा किया कि एजेंसी की ओर से दी जाने वाली दस फीसदी राशि में से इस राशि का जुगाड़ किया गया है। कैश कार्ड भी अलग-अलग राशि के हैं। हैसियत के हिसाब से कैश कार्ड दिए गए। जिसकी जितनी हैसियत उतना ज्यादा पैसा वाला कार्ड दिया गया। आखिर किन पत्रकारों को मैनज कर क्या खबरें छपवाई जानी थी। बड़े अखबार के कथित पत्रकारों की भी पोल खुल गई है। इस खेल के पीछे की योजना का कुछ भाग यह है कि जेडीए में कुछ लोगों के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए कैश कार्ड बांटे गए। मामला खुलते ही जेडीए में अब हड़कंप मच गया है।
जेडीए के सूत्रों के अनुसार यह खेल अचानक सूझा और पत्रकारों को मैनेज करने के लिए आनन-फानन में कैश कार्ड खरीदे गए। जेडीए में कई बिल्डरों के घपलों पर पर्दा डालने के लिए उच्च स्तर से इसकी स्वीकृति ली गई है। यह सवाल अब जेडीए के गलियारों में गूंजने लगा है। करीब 27 पत्रकारों को पैसा देने के लिए कैश कार्ड खरीदे गए। हालांकि अभी यह खुलासा होना शेष है कि कितने कैश कार्ड बांटे जा चुके हैं। कितने लोगों ने कैश कार्ड स्वीप करा लिए हैं। जयपुर विकास प्राधिकरण में लघु अखबारों के कुछ पत्रकार पहुंचे और बात की तो यह मामला सामने आ गया।
कुछ पत्रकारों ने यह कहकर इस पल्ला झाड़ लिया कि वे भ्रष्टाचार के खेल में शामिल नहीं होंगे। प्रकाश कुंज के पत्रकार ने इसमें जांच की तो सामने आया कि जेडीए में इतना पड़ा खेल क्या जेडीसी की नॉलेज के बिना हुआ है। जेडीए के अफसरों में इस बात की चर्चा है कि एक तरफ जेडीए में रिश्वत के आरोप में अफसर पकड़ में आ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ खुलकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
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