Sunday, September 5, 2010

गरदन तोड़ बुखार

मस्तिष्क से संबद्ध है गरदन तोड़ बुखार


गरदन तोड़ बुखार नाम सुनकर पलभर के लिए यह लगना स्वाभाविक है कि इस बीमारी का सम्बंध बुखार और गरदन से है लेकिन, ऐसा है नहीं। गर्दन तोड़ बुखार का सम्बंध मस्तिष्क और मेरुदण्ड से होता है। हमारे मस्तिष्क और मेरुदण्ड के चारों ओर तीन झिल्लियों का आवरण होता है, जिसके बीच में द्रव भरा होता है। इसे सैरिब्रल स्पाइनल ललूइड कहते हैं। ये झिल्लियों और द्रव मिलकर बाह्य झटकों से मस्तिष्क की रक्षा करते हैं। जब द्रव में किसी प्रकार का संक्रमण या झिल्लियों पर सूजन आ जाती है तो व्यक्ति को मैनिनजाइटिस या गरदन तोड़ बुखार हो जाता है। आमतौर पर द्रव या झिल्लियों में होने वाला संक्रमण या तो बैक्टेरिया से होता है या वाइरस से। मैनिनजाइटिस होने पर यह जानना जरूरी है कि संक्रमण किस प्रकार का है, क्योंकि बीमारी के लक्षण और तीव्रता इसी पर निर्भर है। वाइरल मैनिनजाइटिस आसानी से ठीक हो सकता है लेकिन, बैक्टेरियल मैनिनजाइटिस बेहद गम्भीर और घातक साबित हो सकता है। इसमें मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। वैसे तो गरदन तोड़ बुखार किसी भी उम्र में हो सकता है, पर बच्चों में इसके होने की आशंका प्रबल रहती है। गरदन तोड़ बुखार फेफड़ों, ह?aयों या त्वचा में संक्रमण होने पर भी हो सकता है, क्योंकि जीवाणु रक्त द्वारा झिल्लियों में पहुंच कर नुकसान पहुंचा सकते हैं। लक्षण ज् बहुत ज्यादा बुखार आना इसका साधारण लक्षण है। हालांकि बच्चों में कई बार बुखार आना, सिरदर्द होना, गरदन अकड़ना जैसे लक्षण नहीं भी उभरते। इस रोग में उलटी और मतली होना, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता और मनोदशा में परिवर्तन भी हो सकता है। इसके अलावा कई बार बोलने में तकलीफ, मांसपेशियों में दर्द, मुंह का लकवा, मतिभ्रम, थकावट, गुस्सा, श्वास में तेजी, ठण्ड लगना, आंखों की चमक खोना जैसे लक्षण भी उभर आते हैं। ये लक्षण कुछ घंटे या फिर 1-2 दिनों में भी उभर सकते हैं। यदि बचपन में मैनिनजाइटिस होता है तो समय पर उपचार के अभाव में बच्चे की मृत्यु निश्चित है। कई बार बच्चे को मिरगी का दौरा पड़ने लगता है। मैनिनजाइटिस से अंधापन, लगवा होने की आशंका भी रहती है। इस रोग का इलाज है लेकिन, आवश्यकता सही वक्त पर पहचान की है। इस बीमारी के लक्षण उभरने पर तुरन्त ही डॉक्टर को दिखाने में ही समझदारी है। रोग का निदान सुई द्वारा मेरुदण्ड से द्रव या सैरीब्रल स्पाइनल ललूइड निकाल कर उसकी जांच द्वारा सम्भव है। जीवाणुओं द्वारा होने वाले गरदन तोड़ बुखार की पहचान यदि आरम्भिक अवस्था में ही हो जाए तो एंटीबॉयटीक्स द्वारा इसका उपचार किया जा सकता है। कुछ विशिष्ट प्रकार के जीवाणुओं से होने वाला गरदन तोड़ बुखार संक्रामक होता है। चुंबन, कफ, सांस के द्वारा यह रोग फैल सकता है। मैनिनजाइटिस से बचने के लिए आजकल टीके भी उपलब्ध हैं।

Date: 5-9-2010



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